बुधवार, 14 सितंबर 2016

शहरी



हुस्ने इत्तिफ़ाक़ से,
ज़िद्दे पूरी होती गई और शहरी होते गए  ... 

पाश पाश होते रहे और पाक़बाज़ी खोते गए ...         

- निवेदिता दिनकर      
  १४/०९/२०१६  

हुस्ने इत्तिफ़ाक़ -  सौभाग्य से, सुयोग, luckily 

पाश पाश - टूट कर चूर चूर हो जाना , broken in pieces 

पाक़बाज़ी - शुद्धता , सच्चरित्रता, purity 

तस्वीर: मेरी नज़र से 'पत्ती पर रुकी एक बूँद', लोकेशन : मेरा घर, आगरा    
                 

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