शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

और जब ...



अजीब सनक है 
या 
सनकी कहो 

न भेड़चाल पसंद 
और 
न भीड़ वाले काम ...

फितरत ही नहीं है ...
कही जाती हूँ 
हठी 
बेअदब 
बेशर्म 

जब रुकना चाहती हूँ 
कहा जाता है 'चलो'

और जब चलना चाहती हूँ 
कहा जाता है 'रुको '

जब बात करने का मन होता है 
तो 'कितना बोलती है'! 

और 
जब खामोश 
तो 
ज़लज़ला ... 

- निवेदिता दिनकर 
   १५/०१/२०१६ 

तस्वीर : उर्वशी की आँखों से 'स्फुटित' 

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