शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

दाह संस्कार


जब पहुँची 
घाट … 
नहा धोकर 
चन्दन सी,  
रेशमी साड़ी में लिपटी …   
बेलें की कलियों के गजरें,
खास मेरी पसंद के, 
जवाकुसुम दमक … 

पर, आज …    
भीगी-भीगी कच्ची मिट्टी,
नथुनों में सौंधी खुशबू  … 
नरम नरम बाताश का लेप, 
वेदमंत्र … 
और कुछ 
सुबकियाँ … 

- निवेदिता दिनकर 
   १७/१०/२०१४ 

फोटो क्रेडिट्स - उर्वशी दिनकर "जवाकुसुम दमक"
  

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