शुक्रवार, 6 जून 2014

अकेले





वह प्रेम ही क्या, जहाँ ईर्ष्या न हो!!

इस बार जब तुम आना ,
अकेले ही आना,
बस अकेले … 
न कोई गल्प, 
न कोई परी कथा, 
न साजो सामान, 
न वीर गाथा,
बस अकेले … 

बस तुम …

मुझे ईर्ष्या जो होती है ॥ 



- निवेदिता दिनकर 

2 टिप्‍पणियां:

  1. वाह पहली बार पढ़ा आपको बहुत अच्छा लगा.
    आप बहुत अच्छा लिखती हैं और गहरा भी.
    बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  2. आपके कमेंट के लिए धन्यवाद एवं ब्लॉगपधारे और कुछ अपने कीमती वक़्त दिए, शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं